🌿 हरियाली तीज 2025: जानें तारीख, पूजा विधि और तीज व्रत से जुड़ी हर जरूरी बात
हरियाली तीज उत्तर भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो खासकर सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत पावन माना जाता है। यह पर्व सावन के महीने में आता है और शिव-पार्वती के पवित्र मिलन का प्रतीक होता है।
आइए जानते हैं 2025 में हरियाली तीज कब है, इसकी पूजा विधि क्या है और व्रत से जुड़े धार्मिक महत्व को।
📅 Hariyali Teej 2025 Date — हरियाली तीज 2025 की तारीख
हरियाली तीज 2025 में सोमवार, 7 जुलाई को मनाई जाएगी।
यह दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है और इसे विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों — राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और दिल्ली में धूमधाम से मनाया जाता है।
🔔 तीज का मुहूर्त:
तृतीया तिथि प्रारंभ: 6 जुलाई रात 11:58 बजे
तृतीया तिथि समाप्त: 7 जुलाई रात 9:35 बजे
🙏 Teej Vrat 2025 Kab Hai — तीज व्रत 2025 कब है?
हरियाली तीज का व्रत 7 जुलाई 2025 को रखा जाएगा। यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास (बिना जल ग्रहण किए) करती हैं और रातभर जागरण करती हैं।
🧘♀️ Hariyali Teej Puja Vidhi — हरियाली तीज पूजा विधि
हरियाली तीज की पूजा पारंपरिक रूप से शिव-पार्वती के विवाह की स्मृति में की जाती है। यहां जानिए पूजा की मुख्य विधियाँ:
✅ पूजा विधि स्टेप बाय स्टेप:
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सुबह जल्दी स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
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पूजा स्थान को स्वच्छ करें और वहां गौरी-शंकर की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
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हाथों में मेहंदी लगाएं और पारंपरिक हरी साड़ी पहनें।
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फल, मिठाई, सुहाग की वस्तुएं (काजल, चूड़ी, सिंदूर, बिंदी आदि) अर्पित करें।
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हरियाली तीज की कथा (व्रत कथा) पढ़ें या सुनें।
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रात्रि में जागरण करें और अगले दिन व्रत का पारण करें।
🌺 मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप किया था।
🌧️ Sawan Ki Teej Kab Hai — सावन की तीज कब है 2025 में?
सावन की तीज, यानी हरियाली तीज, श्रावण मास की शुरुआत में आती है।
2025 में यह 7 जुलाई (सोमवार) को पड़ेगी, जब पूरा उत्तर भारत सावन के झूले, मेहंदी और गीतों से भर जाएगा।
💚 हरियाली तीज का महत्व
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सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए रखा जाता है।
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कुंवारी लड़कियां भी इसे मनचाहा वर पाने की कामना से रखती हैं।
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इस दिन हरे वस्त्र, झूला झूलना और सावन गीत गाने की परंपरा होती है।
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